Saturday, April 07, 2018

परदेस में गरमी

(अप्रैल ६, २०१८)

अभी बहुत है देर
हवा की ठिठुराती सिहरन
जाने में

उधर देस में गरम तवे ज्यों
रस्ते का डामर
पिघलाते
सूखे पत्ते घुँघरू बांधे
लू के संग में
घूमर गाते

और इधर शैतान हवा ने
बर्फ़ उड़ा दी
वीराने में

खट्टे अमवा चख कर
पागल हुई
कोकिला कूक-कूक कर
बिरहा में जल प्रीतम को
आवाज़ लगाती
दोपहरी भर

पार समंदर हंस युगल भी
होंगे घर वापस
आने में

शाम हुई जो घनी घटाएँ
अनायास ही घिर आती हैं
तेज़ हवा,
ओलों की बारिश
जलती धरती
सहलाती हैं

इधर बर्फ़ की आँधी के डर
सूरज उगता तहख़ाने में

#मानोशी

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